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1 लाख में बिक रही कोल्हापुरी चप्पल से क्यों आती है आवाज? 90% लोग आज तक नहीं जानते इसके पीछे की वजह

प्राडा ब्रांड ने भारत की कोल्हापुरी चप्पल का कलेक्शन लॉन्च कर प्रूफ कर दिया की भारत फैशन के मामले में हमेशा से आगे है। इसके बाद से कोल्हापुरी चप्पल के बारे में पूरी दुनिया में बात हो रही है। लेकिन लोग यह तो जानते ही नहीं है कि सालों पुरानी यह चप्पल क्यों सबसे अलग है।  

Authored by: गीतू कत्यालUpdated: |नवभारतटाइम्स.कॉम
भारत में कोल्हापुरी चप्पल दशकों से बन रही है। कुर्ते पजामे से लेकर धोती तक, कई आउटफिट के साथ इसे पहना जा सकता है। जैसे इसका डिजाइन सबसे अलग होता है। वैसे ही इसे बनाना का तरीका भी बिल्कुल अलग है। तभी जब कोई इस चप्पल को पहनकर कर चलता है तो एक अलग- सी आवाज आती है। पर अचानक से कोल्हापुरी चप्पल की चर्चा हो क्यों रही है?
(फोटो साभार: pixabay, इंस्टाग्राम@prada, kolhapurichappalhouse)

दरअसल, प्राडा ने अपने लेटेस्ट स्प्रिंग कलेक्शन में कोल्हापुरी चप्पल भी लॉन्च की है। जिसके बाद से हर कोई इस चप्पल की बात कर रहा है। गौर करने वाली बात यह भी है की ब्रांड कोल्हापुरी चप्पल को 1 लाख रुपये से भी ज्यादा में बेच रहा है। आइए जानते हैं कोल्हापुरी चप्पल से जुड़ी कुछ बेहद दिलचस्प बातें। (फोटो साभार: pixabay, इंस्टाग्राम@prada, kolhapurichappalhouse)

कोल्हापुरी चप्पल का इतिहास

सोशल मीडिया पर वायरल हो रही कोल्हापुरी चप्पल बेशक दुनिया के लिए नयी होगी। लेकिन भारत में इस चप्पल की शुरुआत 13वीं शताब्दी में ही हो गई थी। राजा बिज्जल और उनके मंत्री बसवन्ना ने मोचियों के लिए इसे बनाने के लिए इंस्पायर किया था। इन चप्पलों को कोल्हापुरी चप्पल इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह महाराष्ट्र के कोल्हापुर में बनती है। कॉबलर कम्युनिटी को बढ़ावा देने के लिए इसकी शुरुआत करवाई गई थी।

प्राडा को क्यों ट्रोल कर रहे हैं लोग?

प्राडा ब्रांड इस चप्पल को 1.16 लाख का बेच रहा है। लेकिन ब्रांड ने इस चप्पल की हिस्ट्री, भारत से कनेक्शन या कोल्हापुर के बारे में कहीं पर भी जिक्र नहीं किया। और, इसी वजह से लोग प्राडा को ट्रोल कर क्रेडिट देने की मांग कर रहे हैं। साथ ही चप्पल से मोटी कमाई करने पर भी फनी मीम्स भी बना रहे हैं।

कैसे बनती है कोल्हापुरी चप्पल?

कोल्हापुरी चप्पल को बनाने के लिए मशीन का इस्तेमाल नहीं होता है। इसे हाथ से तैयार किया जाता है। सबसे पहले चमड़े को सुखाया जाता है। फिर इसे सब्जी के रंगों से प्राकृतिक तरीकों से रंगा जाता है। बाद में इसे डिजाइन किया जाता है और आखिर में सिलकर फाइनल फिनिशिंग दी जाती है। हाथों से बने होने के बावजूद भी यह पहनने में बहुत आरामदायक होती है।

क्यों आती है इससे आवाज

यूं तो हर चप्पल की अलग आवाज होती है। लेकिन कोल्हापुरी चप्पल अगर असली होगी तो इसे पहनकर चलने पर आपको एक अलग- सी आवाज आएगी। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इस चप्पल के सोल में अलग- अलग तरह के बीज डाले जाते हैं। सालों पहले ऐसा इसलिए किया जाता था कि जानवर जैसे ही आवाज सुने तो भाग जाएं।

कितने साल तक है चलती?

चप्पल खरीदने जब भी लोग दुकान पर जाए तो दुकानदार से एक सवाल जरूर करता है - 'चप्पल चलेगी तो न।' लेकिन कोल्हापुरी चप्पल खरीदते वक्त आपको ये साले सवाल पूछने की जरूरत नहीं है। क्योंकि 1 कोल्हापुरी चप्पल 10 साल तक चलती है। गर्मियों जैसे मौसम के लिए यह चप्पल बिल्कुल बेस्ट और कम्फर्टेबल रहती हैं।

फिल्मों में भी होता है जिक्र

दोनों चप्पलें होती हैं अलग

कोल्हापुरी चप्पल से जुड़ी एक और दिलचस्प बात यह है कि दोनों चप्पलें अलग होती हैं। क्योंकि इन्हें हाथ से बनाया जाता है। और, दोनों चप्पलों में कुछ न कुछ बारीक से डिफरेंस रह ही जाते हैं। इस शानदार क्राफ्टमैनशिप के लिए भारतीय कला को GI टैग भी मिल चुका है।



कोल्हापुरी चप्पल बेशक सालों पुरानी हैं। लेकिन कुर्तों और सूट के साथ आज भी हर उम्र के लोग इसे पहने नजर आ जाएंगे।

गीतू कत्याल

लेखक के बारे मेंगीतू कत्यालगीतू कत्याल, मीडिया इंडस्ट्री में तीन साल का अनुभव रखती हैं। इन्होंने न्यूज 18 समेत ज़ी व जागरण जैसी संस्थानों में बतौर लेखक अपना योगदान दिया है। गीतू ने इस दौरान अलग-अलग विषयों पर लिखा, जो लाइफस्टाइल, एंटरटेनमेंट, हेल्थ, वायरल जैसे सेक्शन्स से जुड़े थे। इन्हें सक्सेस स्टोरीज लिखने का भी अनुभव है। गीतू महिलाओं से जुड़े मुद्दों को लेकर दिल से जुड़ाव रखती हैं और इन्होंने इसे लेकर कई ओपिनियन पीसिस लिखे हैं। मौजूदा समय में गीतू नवभारत टाइम्स में बतौर सीनियर डिजिटल कंटेंट प्रोड्यूसर कार्यरत हैं और फैशन सेक्शन में लेखक की भूमिका निभा रही हैं। हॉबीज की बात करें तो इन्हें खाली समय में लिखना, किताबें पढ़ना और घूमने के अलावा फिल्में देखना भी काफी पसंद है।... और पढ़ें

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