तो चप्पल से नहीं इस राक्षस के नाम पर पड़ा था शहर का नाम कोल्हापुर, ये 6 चीजें भी बनाती हैं इस जगह को खास

Authored byसपना सिंह |नवभारतटाइम्स.कॉम
Subscribe

कोल्हापुर महाराष्ट्र राज्य का एक छोटा सा भारतीय शहर है। यह शहर कभी महाराजा सम्राट छत्रपति शाहू द्वारा शासित एक रियासत था। बाद में 1947 के बाद इसे स्वतंत्र घोषित कर दिया गया। इसका नाम कोल्‍हापुर क्‍यों पड़ा, इसके पीछे भी बड़ा दिलचस्‍प किस्‍सा है। यहां की चप्‍पलों से लेकर ज्‍वेलरी तक दुनियाभर में मशहूर हैं।

reasons why kolhapur is famous more than kolhapuri chappals
कोल्हापुर का नाम तो आप सभी ने सुना होगा। कोल्हापुर महाराष्ट्र का एक शहर है। पुणे से 230 किमी दूर स्थित यह शहर कोल्हापुर रियासतों में से एक है और मराठों के समय की समृद्ध विरासत को संजोए हुए है। यह शहर प्राचीन मंदिरों और महलों का मानो घर है। इसे मसालों की राजधानी भी कहा जाता है। वैसे इस शहर का इतिहास बड़ा दिलचस्‍प है। बताया जाता है कि आजादी से पहले तक यह शहर 19 तोपों की सलामती रियासत के नाम से भी मशहूर था। प्राचीन काल में इस शहर को और भी कई नामों से पहचाना गया। कभी यह दक्षिण काशी के अलावा अंबाबाई के नाम से भी लोगों के बीच पॉपुलर था। लेकिन क्‍या आपने कभी सोचा है कि इस शहर का नाम कोल्‍हापुर आखिर पड़ा कैसे। तो आइए हम आपको बताते हैं कोल्‍हापुर का नाम कोल्हापुर कैसे और क्‍यों पड़ा।

क्‍यों पड़ा कोल्‍हापुर नाम-

क्‍यों पड़ा कोल्‍हापुर नाम-

कोल्‍हापुर का नाम कोल्हासुर की एक पौराणिक कहानी से पड़ा है। कोल्‍हासुर एक राक्षस था, जिसे महालक्ष्‍मी ने मारा था। पौराणिक मान्‍याताओं के अनुसार, इस शहर में कोल्‍हासुर नाम का राक्षस रहता था। यहां रहने वाले लोग उसके अत्‍याचार से परेशान थे। लोगों ने महालक्ष्मी देवी से प्रार्थना की कि उन्‍हें उसके अत्‍याचार से बचाएं। इस प्रार्थना के बाद कोल्‍हासुर राक्षस और महालक्ष्‍मी देवी के बीच 9 दिनों तक युद्ध चला, जिसमें कोल्‍हासुर राक्षस हार गया। तब उसने मां से विनती की कि इस शहर को उसके नाम से जाना जाए। तब से इस शहर का नाम कोल्हासुर से बदलकर कोल्‍हापुर रख दिया।

दुबई की खूबसूरती में चार-चांद लगाती हैं ये 8 जगहें, इन्हें देखे बिना शहर का सफर माना जाता है अधूरा

चप्‍पलों के लिए फेमस है कोल्‍हापुर -

चप्‍पलों के लिए फेमस है कोल्‍हापुर -

कोल्हापुर दुनियाभर में अपने हस्तशिल्प के लिए जाना जाता है। खासतौर से कोल्‍हापुरी चप्‍पलें बहुत ही मशहूर हैं। सिंपल स्टाइल, लेदर की क्वालिटी और यूनिक डिजाइन वाली इन चप्पलों को कारीगर हाथों से बनाते हैं। इनके अलावा कोल्हापुर ज्‍वेलरी और साडियां भी खूब पॉपुलर हैं। आप कोल्‍हापुर गए हैं, तो इन चीजों की शॉपिंग के बिना आपकी कोल्‍हापुर की यात्रा अधूरी है।

जयपुर की ये 5 भूतिया जगह दिन में भी नहीं हैं किसी खतरे से कम, ‘Dahan’ सीरीज भी लगेगी इनके सामने फीकी

कोल्हापुर का रंकाला महोत्‍सव -

कोल्हापुर का रंकाला महोत्‍सव -

कोल्हापुर एक अन्य सांस्कृतिक उत्सव के लिए जाना जाता है, जिसका नाम है रंकाला महोत्सव। यह नगर निगम द्वारा आयोजित किया जाता है। इस महोत्‍सव में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं को देखने का मौका मिलता है। इस पांच दिवसीय कार्यक्रम में लाइव परफॉर्मेंस , म्‍यूजिक कंसर्ट, एग्‍जीबिशन जैसे कार्यक्रम आयोजित होते हैं।

आने वाली छुट्टियों में करें कूनो नेशनल पार्क की यात्रा, जहां रखें गए हैं 8 चीतें

इन वजहों से भी फेमस है कोल्‍हापुर-

इन वजहों से भी फेमस है कोल्‍हापुर-

महालक्ष्‍मी मंदिर- यह एक शक्तिपीठ है। किंवदंतियों के अनुसार, भाग्य की देवी इस मंदिर में निवास करती हैं।

ज्योतिबा मंदिर - अगला मंदिर ज्योतिबा मंदिर है, जो ब्रह्मा, विष्णु और शिव के अवतार ज्योतिबा के सम्मान में बनाया गया है। यह शहर से 21 किमी दूर स्थित है। त्योहारों के दौरान, इस मंदिर में सैकड़ों भक्तों की भीड़ उमड़ती है।

कोल्हापुर फूड - कोल्‍हापुर ने खाने को लेकर अपनी एक अलग पहचान बनाई है। खाने के शौकीनों का यह परफेक्‍ट अड्डा है। इस शहर को न केवल शाकाहारी बल्कि मांसाहारी भोजन बनाने की कला में महारथ हासिल है। अगर आप मांसाहारी हैं, तो तंबाड़ा और पंधारा रस का स्‍वाद जरूर लें। शाकाहारी लोग खासबाग मैदान के राजा भेल, शाम चा वड़ा में कोल्हापुरी भेल, मिसल-पाव और वड़ा-पाव का स्वाद ले सकते हैं। सूर्यास्त के बाद, रंकाला झील के किनारे चौपाटी पर कई फूड स्‍टॉल्‍स पर जाकर डिशेज की अलग-अलग वैरायटी ट्राई कर सकते हैं।

महाराष्ट्र की पहचान है कोल्‍हापुर का दंगल -

महाराष्ट्र की पहचान है कोल्‍हापुर का दंगल -

बेशक आपको दंगल देखने का शौक हो या नहीं, लेकिन आपको कोल्हापुर का दंगल जरूर देखना चाहिए। याह महाराष्ट्र की पहचान है। कोल्‍हापुर में भारतीय कुश्ती का हब है। कई अखाड़े हैं जहां हर सुबह और शाम को कुश्ती मैच आयोजित किए जाते हैं। महालक्ष्मी मंदिर के पास मोतीबाग अखाड़ा घूमने के लिए एक अच्छी जगह है।

कोल्‍हापुरी मसालों का जवाब नहीं-

कोल्‍हापुरी मसालों का जवाब नहीं-

इसके अलावा यहां के मसालों को भी अपने साथ जरूर लेकर जाएं। कहते हैं यहां के मसालों की बात ही कुछ और है। सॉस से लेकर ग्रेवी तक का स्‍वाद सबसे अलग होता है। यहां का मिसल बहुत पॉपुलर है। यह आलू, मटर और अन्य स्प्राउट्स की एक मसालेदार ग्रेवी है। पूरे महाराष्ट्र में प्रसिद्ध मिसल केवल यहां ही पाई जाती है।

कोरोना के बाद से भूटान अब फिर बुला रहा है सैलानियों को, विदेशियों को तो घूमने के लिए देने होंगे इतने पैसे

जरूर जाएं पन्‍हाला -

जरूर जाएं पन्‍हाला -

कोल्हापुर से लगभग 20 किमी दूर महाराष्ट्र का सबसे छोटा शहर पन्हाला है। यहां की लोकल आर्ट और पानी की टंकी इस जगह की विशेषता है। बताया जाता है कि यहीं पर छत्रपति शिवाजी अपने जीवन के लगभग पांच साल यहीं बिताए हैं।

सपना सिंह

लेखक के बारे मेंसपना सिंह सपना सिंह को मीडिया इंडस्ट्री में 8 साल से ज्यादा का अनुभव है। इनको न केवल डिजिटल में बल्कि प्रिंट मीडिया में भी काम करने का तजुर्बा है। सपना ने हेल्थ, ब्यूटी जैसे विषयों पर कई वर्षों तक लिखा है, लेकिन मौजूदा समय में ये NBT ट्रेवल सेक्शन को लीड कर रही हैं। उन्हें घूमना बड़ा पसंद है, पहाड़ों पर चढ़ना, कैंपिंग-हाइकिंग करना, हर वीकेंड रेस्तरां एक्सप्लोर करना उनकी हॉबी में आता है। यही कारण है उन्होंने पछले 3 सालों से ट्रेवलिंग को अपना एक शौक बना लिया है। अब वो अपने अनुभव और दुनियाभर की खूबसूरत जगहों को अपनी लिखावट के जरिए लोगों तक पहुंचाती हैं। उनका कहना है ‘घूमना ही जिंदगी का नाम है।... और पढ़ें

कन्वर्सेशन शुरू करें

रेकमेंडेड खबरें

अगला लेख

Travelकी ताजा खबरें, ब्रेकिंग न्यूज, अनकही और सच्ची कहानियां, सिर्फ खबरें नहीं उसका विश्लेषण भी। इन सब की जानकारी, सबसे पहले और सबसे सटीक हिंदी में देश के सबसे लोकप्रिय, सबसे भरोसेमंद Hindi Newsडिजिटल प्लेटफ़ॉर्म नवभारत टाइम्स पर
OSZAR »