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श्री कृष्ण चालीसा | Shri Krishna Chalisa Lyrics in Hindi

Edited by: राकेश झा|नवभारतटाइम्स.कॉम

Shri Krishna Chalisa Lyrics: श्रीकृष्ण चालीस का पाठ सभी दिनों में अत्यंत शुभ फलदायी होता है। कृष्ण चालीसा के पाठ के साथ दोहा और चौपाई का पाठ भी जरूर करना चाहिए, इससे पाठ का संपूर्ण फल मिलता है। जन्माष्टमी के दिन चारों प्रहर में एक-एक बार श्रीाकृष्ण चालीसा का पाठ करना चाहिए।

Shri Krishna Chalisa Lyrics in Hindi
(फोटो- नवभारतटाइम्स.कॉम)

श्री कृष्ण चालीसा | Shri Krishna Chalisa Lyrics in Hindi

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दोहा

बंशी शोभित कर मधुर, नील जलद तन श्याम।
अरुण अधरजनु बिम्बफल, नयनकमलअभिराम॥
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पूर्ण इन्द्र, अरबिंद मुख, पीतांबर शुभ साज।
जय मनमोहन मदन छवि, कृष्णचन्द्र महाराज॥
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चौपाई
जय यदुनंदन जय जगवंदन। जय वसुदेव देवकी नंदन॥
जय यशोदा सुत नंद दुलारे। जय प्रभु भक्तन के दृग तारे॥
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जय नट-नागर, नाग नथइया॥ कृष्ण कन्हइया धेनु चरइया॥
पुनि नख पर प्रभु गिरिवर धारो। आओ दीनन कष्ट निवारो॥
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वंशी मधुर अधर धरि टेरौ। होवे पूर्ण विनय यह मेरौ॥
आओ हरि पुनि माखन चाखो। आज लाज भारत की राखो॥
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गोल कपोल, चिबुक अरुणारे। मृदु मुस्कान मोहिनी डारे॥
राजित राजिव नयन विशाला। मोर मुकुट वैजंतीमाला॥
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कुंडल श्रवण, पीत पट आछे। कटि किंकिणी काछनी काछे॥
नील जलज सुन्दर तनु सोहे। छबि लखि, सुर नर मुनिमन मोहे॥
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मस्तक तिलक, अलक घुंघराले। आओ कृष्ण बांसुरी वाले॥
करि पय पान, पूतनहि तारयो। अका बका कागासुर मारयो॥
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मधुवन जलत अगिन जब ज्वाला। भै शीतल लखतहिं नंदलाला॥
सुरपति जब ब्रज चढ़्‌यो रिसाई। मूसर धार वारि वर्षाईं॥
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लगत लगत व्रज चहन बहायो। गोवर्धन नख धारि बचायो॥
लखि यसुदा मन भ्रम अधिकाई। मुख मंह चौदह भुवन दिखाई॥
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दुष्ट कंस अति उधम मचायो॥ कोटि कमल जब फूल मंगायो॥
नाथि कालियहिं तब तुम लीन्हें। चरण चिह्न दै निर्भय कीन्हें॥
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करि गोपिन संग रास विलासा। सबकी पूरण करी अभिलाषा॥
केतिक महा असुर संहारयो। कंसहि केस पकड़ि दै मारयो॥
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मात-पिता की बन्दि छुड़ाई। उग्रसेन कहं राज दिलाई॥
महि से मृतक छहों सुत लायो। मातु देवकी शोक मिटायो॥
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भौमासुर मुर दैत्य संहारी। लाये षट दश सहसकुमारी॥
दै भीमहिं तृण चीर सहारा। जरासिंधु राक्षस कहं मारा॥
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असुर बकासुर आदिक मारयो। भक्तन के तब कष्ट निवारयो॥
दीन सुदामा के दुख टारयो। तंदुल तीन मूंठ मुख डारयो॥
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प्रेम के साग विदुर घर मांगे। दुर्योधन के मेवा त्यागे॥
|लखी प्रेम की महिमा भारी। ऐसे श्याम दीन हितकारी॥
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भारत के पारथ रथ हांके। लिये चक्र कर नहिं बल थाके॥
निज गीता के ज्ञान सुनाए। भक्तन हृदय सुधा वर्षाए॥
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मीरा थी ऐसी मतवाली। विष पी गई बजाकर ताली॥
राना भेजा सांप पिटारी। शालीग्राम बने बनवारी॥
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निज माया तुम विधिहिं दिखायो। उर ते संशय सकल मिटायो॥
तब शत निन्दा करि तत्काला। जीवन मुक्त भयो शिशुपाला॥
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जबहिं द्रौपदी टेर लगाई। दीनानाथ लाज अब जाई॥
तुरतहि वसन बने नंदलाला। बढ़े चीर भै अरि मुंह काला॥
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अस अनाथ के नाथ कन्हइया। डूबत भंवर बचावइ नइया॥
'सुन्दरदास' आस उर धारी। दया दृष्टि कीजै बनवारी॥
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नाथ सकल मम कुमति निवारो। क्षमहु बेगि अपराध हमारो॥
खोलो पट अब दर्शन दीजै। बोलो कृष्ण कन्हैया की जै॥

दोहा
यह चालीसा कृष्ण का, पाठ करै उर धारि। अष्ट सिद्धि नवनिधि फल, लहै पदारथ चारि॥
राकेश झा
लेखक के बारे में
राकेश झा
"पं. राकेश झा वैदिक ज्योतिष में करीब 16 वर्षों का कार्यानुभव रखते हैं। मनुष्य के जीवन को दिशा और दशा प्रदान करने वाले सितारों और नक्षत्रों के प्रति इनका ज्ञान समृद्ध और व्यवहारिक है। ग्रह नक्षत्रों की स्थिति और प्रभाव को यह बारीकी से समझते हैं और उसकी व्याख्या करते हैं। वैदिक ज्योतिष के साथ ही अंकज्योतिष, टैरो कार्ड्स के माध्यम से भी यह अपने पाठकों और ज्योतिष विषय में रुचि रखने वाले महानुभावों को परामर्श देकर उनका उचित मार्गदर्शन करते आए हैं। इसके साथ ही दैनिक राशिफल और ग्रह गोचर संबंधी विषयों और उनके प्रभावों से भी यह ज्योतिष विषयों में रुचि रखने वालों को सटीक जानकारी प्रदान करके उनका मार्गदर्शन करते हैं। ग्रहों के गोचर, ग्रहों की दशा, महादशा और अंतर्दशा से उनके जीवन पर होने वाले प्रभावों के अनुसार उपाय भी जो यह बताते वह सरल और बेहद लाभकारी होते हैं। इससे प्रतिकूल परिस्थितियों को पार करने का बल और सामर्थ्य भी प्राप्त होता है। ज्योतिष और आध्यात्मिक विषयों के साथ ही संगीत में भी इनकी गहरी रुचि है। दरअसल इनका मानना है कि संगीत का संबंध ईश्वर से है जो हमारी आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का काम करता है। संगीत में वह शक्ति है जो आत्मिक शांति प्रदान करता है और जीवन के प्रति एक अलग सोच और दिशा प्रदान करता है। इसलिए यह नियमित संगीत के साथ मंत्र जप और ध्यान का अभ्यास भी करते हैं जिससे इनका ज्योतिष और आध्यात्मिक ज्ञान नित नए सोपान चढता प्रतीत होता है। पं. राकेश झा के वर्षों के अनुभव और निरंतर सीखने की इच्छा को देखते हुए यह विश्वास के साथ कहा जा सकता है कि यह अपने पाठकों के लिए एक सच्चे और भरोसेमंद मित्र की तरह हैं जो उन्हें ज्योतिष और अध्यात्म के पथ पर सद्मार्ग दिखा सकते हैं।"... और पढ़ें
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