चूरू का लाल देश पर कुर्बान: जम्मू-कश्मीर में शहीद हुए लूणासर के भंवरलाल, आज शाम गांव पहुंचेगा पार्थिव शरीर, निकलेगी तिरंगा यात्रा

Authored byसम्ब्रत चतुर्वेदीContributed byअमित भारद्वाज |Lipi
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Shaheed Bhanwarlal Saran: राजस्थान के चूरू जिले के लूणासर गांव के भंवरलाल सारण जम्मू-कश्मीर के गुलमर्ग में ड्यूटी के दौरान शहीद हो गए। वह राजपूताना राइफल्स में सेवारत थे। उनका पार्थिव शरीर दिल्ली से लूणासर लाया जाएगा। गांव में तिरंगा यात्रा निकाली जाएगी और राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार होगा।

Shaheed Bhanwarlal Saran
शहीद भंवरलाल सारण।
चूरू: राजस्थान के चूरू जिले के लूणासर गांव का सपूत, भारतीय सेना का वीर जवान भंवरलाल सारण, जम्मू-कश्मीर के गुलमर्ग में ड्यूटी के दौरान शहीद हो गया। रविवार रात हुए इस हादसे की जानकारी सोमवार को उनके साथी जवान पुष्पेंद्र मील ने परिवार को फोन कर दी। 37 वर्षीय भंवरलाल 2015 से राजपूताना राइफल्स में सेवारत थे।

शहीद भंवरलाल की शहादत से पूरे गांव में शोक की लहर है। एक बहादुर सैनिक, एक जिम्मेदार बेटा और एक नन्हीं बेटी के पिता भंवरलाल की यह कुर्बानी देश को हमेशा गर्व से भर देगी।

शाम को गांव में पहुंचेगा पार्थिव शरीर, तिरंगा यात्रा की तैयारी


श्रीनगर से फ्लाइट के जरिए शहीद का पार्थिव शरीर दिल्ली लाया गया, जहां से सड़क मार्ग से उसे लूणासर गांव लाया जाएगा। आज शाम लगभग चार बजे गांव में तिरंगे में लिपटे पार्थिव शरीर के साथ तिरंगा यात्रा निकाली जाएगी। इसके बाद राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

परिवार में शोक, गांव में शौर्य की मिसाल


भंवरलाल की शादी वर्ष 2014 में मालसर गांव की तारामणी से हुई थी। उनके परिवार में पत्नी, पांच वर्षीय बेटी, पिता उमाराम सारण और छोटा भाई मुकेश हैं। मुकेश भी सेना में भर्ती की तैयारी कर रहा है। मां का पहले ही निधन हो चुका है। तीन माह पहले ही भंवरलाल छुट्टी पर गांव आए थे और कुछ समय परिवार के साथ बिताया था।

भंवररलाल हमारे दिलों में अमर रहेंगे



गांव के सरपंच भंवरलाल पांडर ने कहा, यह पूरे क्षेत्र के लिए गर्व और दुख का क्षण है। भंवरलाल की शहादत को कोई नहीं भूल सकता। वे हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेंगे।

श्रद्धांजलि देने उमड़ा जनसैलाब


शहीद की खबर मिलते ही लूणासर और आसपास के गांवों से लोग श्रद्धांजलि देने पहुंचने लगे हैं। हर आंख नम है, लेकिन गर्व भी उतना ही है। लोगों का कहना है,'शहीद हुए तो क्या हुआ, इज़्ज़त से जीए हैं... तिरंगे में लिपटे हैं, यही सबसे बड़ा सम्मान है।'
सम्ब्रत चतुर्वेदी

लेखक के बारे मेंसम्ब्रत चतुर्वेदीनवभारत टाइम्स डिजिटल के सहायक समाचार संपादक। पत्रकारिता में राजस्थान पत्रिका, दैनिक भास्कर, नेटवर्क18 जैसी संस्थाओं के बाद टाइम्स इंटरनेट तक 20 साल का सफर। देश-प्रदेश, खेल और शिक्षा, कला एवं संस्कृति जगत में खास रुचि। डिजिटल माध्यम के नए प्रयोगों में दिलचस्पी के साथ सीखने की सतत ललक...... और पढ़ें

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