नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट (पीडब्ल्यूडी) और दिल्ली कंटोनमेंट बोर्ड (डीसीबी) को दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के साथ बैठक कर राजपूताना राइफल्स के जवानों के लिए अस्थायी सुविधा के रूप में तत्काल बेली ब्रिज बनाने पर विचार करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने पाया कि राजपूताना राइफल्स के जवानों को परेड ग्राउंड तक पहुंचने के लिए एक बदबूदार नाला पार करना पड़ता है। इस समस्या के स्थायी समाधान के लिए वहां एक फुट ओवरब्रिज (FOB) बनना है, जिसे अंतिम रूप देने की कोशिशें हो रही हैं।
जस्टिस प्रतिभा एम सिंह और जस्टिस मनमीम पीएस अरोड़ा की वेकेशन बेंच के सामने 18 जून को यह मामला सुनवाई के लिए आया। मौजूदा मामले में कोर्ट ने खुद से संज्ञान लेकर सुनवाई शुरू की है जिसमें दिल्ली कंटोनमेंट बोर्ड एरिया में रिंग रोड पार करने के लिए राजपूताना राइफल्स रेजिमेंट से संबंधित सैनिकों के लिए रास्ता बनाने की मांग की गई। पिछली सुनवाई यानी 30 मई, 2025 को कोर्ट ने दिल्ली कंटोनमेंट बोर्ड के नोडल अधिकारी को पुलिया/मार्ग की सफाई और सौंदर्यीकरण के संबंध में 3 जून, 2025 को एक बैठक बुलाने का निर्देश दिया था।
तीन रिपोर्ट पेश की गई
आदेश के अनुपालन में तीन रिपोर्ट पेश की गईं। पहली स्टेटस रिपोर्ट डीसीपी (ट्रैफिक), नई दिल्ली रेंज, ने दाखिल की। दूसरी रिपोर्ट दिल्ली कंटोनमेंट बोर्ड ने और तीसरी रिपोर्ट पीडब्ल्यूडी ने दाखिल की। कोर्ट ने कहा कि यह साफ है कि पुलिया की सफाई और पानी को बाहर निकालना स्थायी समाधान नहीं हो सकता है क्योंकि सैनिकों को परेड ग्राउंड तक पहुंचने के लिए पुलिया से गुजरने में काफी समय लगता है।
कोर्ट ने गौर किया कि दिल्ली ट्रैफिक पुलिस की ओर से सुझाए गए तत्काल समाधानों में से एक बेली ब्रिज का निर्माण है, जैसा कि राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान किया गया था। हालांकि, अंतिम/स्थायी समाधान फुट ओवरब्रिज होगा जिसे पीडब्ल्यूडी बनाएगी। लिहाजा, कोर्ट ने पीडब्ल्यूडी और डीसीबी को दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के साथ 10 जुलाई, 2025 को दिल्ली कंटोनमेंट बोर्ड के कॉन्फ्रेंस हॉल में एक संयुक्त बैठक आयोजित करने का निर्देश दिया।
तत्काल के लिए बेली ब्रिज के निर्माण पर विचारइसमें तत्काल समाधान के रूप में बेली ब्रिज के निर्माण पर विचार होगा। कोर्ट ने कहा कि इसके लिए अगर सेना की किसी अन्य एजेंसी की सेवाओं की जरूरत पड़े, तो डीसीबी ऐसी सेवाओं का लाभ उठाने के लिए स्वतंत्र है। कोर्ट ने साफ किया कि इन पुलों के निर्माण की लागत पीडब्ल्यूडी वहन करेगी, क्योंकि रिकॉर्ड से पता चला कि एफओबी को 2010 में मंजूरी दी गई थी और किसी कारण से इसका निर्माण नहीं किया गया है। मामले में अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी।
जस्टिस प्रतिभा एम सिंह और जस्टिस मनमीम पीएस अरोड़ा की वेकेशन बेंच के सामने 18 जून को यह मामला सुनवाई के लिए आया। मौजूदा मामले में कोर्ट ने खुद से संज्ञान लेकर सुनवाई शुरू की है जिसमें दिल्ली कंटोनमेंट बोर्ड एरिया में रिंग रोड पार करने के लिए राजपूताना राइफल्स रेजिमेंट से संबंधित सैनिकों के लिए रास्ता बनाने की मांग की गई। पिछली सुनवाई यानी 30 मई, 2025 को कोर्ट ने दिल्ली कंटोनमेंट बोर्ड के नोडल अधिकारी को पुलिया/मार्ग की सफाई और सौंदर्यीकरण के संबंध में 3 जून, 2025 को एक बैठक बुलाने का निर्देश दिया था।
तीन रिपोर्ट पेश की गई
आदेश के अनुपालन में तीन रिपोर्ट पेश की गईं। पहली स्टेटस रिपोर्ट डीसीपी (ट्रैफिक), नई दिल्ली रेंज, ने दाखिल की। दूसरी रिपोर्ट दिल्ली कंटोनमेंट बोर्ड ने और तीसरी रिपोर्ट पीडब्ल्यूडी ने दाखिल की। कोर्ट ने कहा कि यह साफ है कि पुलिया की सफाई और पानी को बाहर निकालना स्थायी समाधान नहीं हो सकता है क्योंकि सैनिकों को परेड ग्राउंड तक पहुंचने के लिए पुलिया से गुजरने में काफी समय लगता है।
कोर्ट ने गौर किया कि दिल्ली ट्रैफिक पुलिस की ओर से सुझाए गए तत्काल समाधानों में से एक बेली ब्रिज का निर्माण है, जैसा कि राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान किया गया था। हालांकि, अंतिम/स्थायी समाधान फुट ओवरब्रिज होगा जिसे पीडब्ल्यूडी बनाएगी। लिहाजा, कोर्ट ने पीडब्ल्यूडी और डीसीबी को दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के साथ 10 जुलाई, 2025 को दिल्ली कंटोनमेंट बोर्ड के कॉन्फ्रेंस हॉल में एक संयुक्त बैठक आयोजित करने का निर्देश दिया।
तत्काल के लिए बेली ब्रिज के निर्माण पर विचारइसमें तत्काल समाधान के रूप में बेली ब्रिज के निर्माण पर विचार होगा। कोर्ट ने कहा कि इसके लिए अगर सेना की किसी अन्य एजेंसी की सेवाओं की जरूरत पड़े, तो डीसीबी ऐसी सेवाओं का लाभ उठाने के लिए स्वतंत्र है। कोर्ट ने साफ किया कि इन पुलों के निर्माण की लागत पीडब्ल्यूडी वहन करेगी, क्योंकि रिकॉर्ड से पता चला कि एफओबी को 2010 में मंजूरी दी गई थी और किसी कारण से इसका निर्माण नहीं किया गया है। मामले में अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी।