ये आज का समुद्र मंथन... आनंद महिंद्रा ने समझा दिया बदलती दुन‍िया का पूरा सीन, चीन का जिक्र कर दे दी चेतावनी

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महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने भारतीय व्यवसायों से वैश्विक उथल-पुथल का फायदा उठाने का आह्वान किया है। उन्होंने इसे आधुनिक 'समुद्र मंथन' बताया है, जिससे भारत वैश्विक सप्लाई चेन में चीन के विकल्प के तौर पर उभर सकता है। आनंद महिंद्रा ने नवीकरणीय ऊर्जा, रक्षा और डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे क्षेत्रों पर फोकस करने की सलाह दी है।

Anand Mahindra China India Rivalry
नई दिल्‍ली: महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने भारतीय व्यवसायों को वैश्विक उथल-पुथल के इस दौर का फायदा उठाने की जोरदार अपील की है। उन्होंने मौजूदा अस्थिर माहौल को आधुनिक 'समुद्र मंथन' कहा है। यह पौराणिक कथाओं में उस मंथन जैसा है जिससे अमृत और विष दोनों निकले थे। अपने शेयरधारकों को भेजे संदेश में महिंद्रा ने भारत के पड़ोसी (चीन) के साथ 'उकसावे' की स्थिति का जिक्र किया। लेकिन, भरोसा जताया कि भारत अपनी आर्थिक तरक्‍की को पटरी से उतारे बिना ही अपनी सहनशीलता की सीमाएं दिखा सकता है। उनका मानना है कि संरक्षणवाद, भू-राजनीतिक बदलाव और बदलती वैश्विक सप्लाई चेन जैसे बड़े ट्रेंड्स के कारण दुनिया एक और बड़े बदलाव से गुजर रही है।

आनंद महिंद्रा ने कहा कि भारत को चीन के साथ तनाव के बीच ग्‍लोबल सप्लाई चेन में एक विकल्प के तौर पर खुद को पेश करना चाहिए। लेकिन, इसके लिए तेजी से काम करना होगा। उन्होंने कहा कि फिलीपींस और वियतनाम जैसे देश भी मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की कोशिश कर रहे हैं। इसलिए भारत को तेजी से काम करके अपना हिस्सा हासिल करना होगा। महिंद्रा समूह में लचीलापन ही मुख्य रणनीति है। इसे महिंद्रा ने 'बरगद का पेड़' यानी 'बनयन ट्री' मॉडल कहा है। इसमें मुख्य व्यवसाय पेड़ के तने की तरह काम करते हैं। नए उद्यम हवाई जड़ों के रूप में विकसित होते हैं जो स्वतंत्र रूप से फल-फूल सकते हैं और पूरे इकोसिस्टम को सपोर्ट कर सकते हैं।

पुरानी उदार व्यापार व्यवस्था को चुनौती

आनंद महिंद्रा ने चेताया कि संरक्षणवाद की बढ़ती लहर दशकों पुरानी उदार व्यापार व्यवस्था को चुनौती दे रही है। इसे ट्रंप प्रशासन के टैरिफ ने नाटकीय रूप से उजागर किया है। उनका कहना है कि कंपनियों को ऐसे माहौल में ढलना होगा जहां पुराने दोस्त बदल रहे हैं। नए आर्थिक समूह बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत को नवीकरणीय ऊर्जा, रक्षा और डिजिटल इन्‍फ्रास्ट्रक्चर जैसे क्षेत्रों पर ध्यान देना चाहिए। इससे देश को तरक्की करने में मदद मिलेगी।

मैन्‍युफैक्‍चरिंग पावर बनने का होना चाह‍िए लक्ष्‍य

बढ़ती लागत, बाधित सप्लाई चेन और भारत की अपनी व्यापारिक कमजोरियों जैसी संभावित चुनौतियों के बावजूद महिंद्रा इस अशांति से अवसरों के उभरने की उम्मीद देखते हैं। उन्होंने चीन के विरोधपूर्ण रुख को भारत के लिए उत्प्रेरक बताया है। इससे भारत खुद को ग्‍लोबल सप्लाई चेन में एक व्यवहार्य विकल्प के रूप में स्थापित कर सकता है। हालांकि, उन्होंने रफ्तार पर जोर दिया। कारण है कि फिलीपींस और वियतनाम जैसे देश पहले से ही खुद को भविष्य के मैन्‍युफैक्‍चरिंग हब के रूप में पेश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, 'हमें अमृत में अपनी हिस्सेदारी सुरक्षित करने के लिए तेज और रणनीतिक रूप से काम करना चाहिए।'

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत का लक्ष्य एक मैन्‍युफैक्‍चरिंग पावर बनना है। इसके लिए व्यवसायिक उद्देश्यों को नवीकरणीय ऊर्जा, रक्षा और डिजिटल बुनियादी ढांचे जैसी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के साथ जोड़ना महत्वपूर्ण होगा। उनके अनुसार, ये क्षेत्र भारत में 'सनराइज इंडस्ट्रीज' बन रहे हैं। इससे कंपनियों को काफी फायदा हो सकता है।
अमित शुक्‍ला

लेखक के बारे मेंअमित शुक्‍लापत्रकारिता और जनसंचार में पीएचडी की। टाइम्‍स इंटरनेट में रहते हुए नवभारतटाइम्‍स डॉट कॉम से पहले इकनॉमिकटाइम्‍स डॉट कॉम में सेवाएं दीं। पत्रकारिता में 15 साल से ज्‍यादा का अनुभव। फिलहाल नवभारत टाइम्स डॉट कॉम में असिस्‍टेंट न्‍यूज एडिटर के रूप में कार्यरत। टीवी टुडे नेटवर्क, दैनिक जागरण, डीएलए जैसे मीडिया संस्‍थानों के अलावा शैक्षणिक संस्थानों के साथ भी काम किया। इनमें शिमला यूनिवर्सिटी- एजीयू, टेक वन स्कूल ऑफ मास कम्युनिकेशन, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय (नोएडा) शामिल हैं। लिंग्विस्‍ट के तौर पर भी पहचान बनाई। मार्वल कॉमिक्स ग्रुप, सौम्या ट्रांसलेटर्स, ब्रह्मम नेट सॉल्यूशन, सेंटर फॉर सिविल सोसाइटी और लिंगुअल कंसल्टेंसी सर्विसेज समेत कई अन्य भाषा समाधान प्रदान करने वाले संगठनों के साथ फ्रीलांस काम किया। प्रिंट और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म में समान रूप से पकड़। देश-विदेश के साथ बिजनस खबरों में खास दिलचस्‍पी।... और पढ़ें

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