आनंद महिंद्रा ने कहा कि भारत को चीन के साथ तनाव के बीच ग्लोबल सप्लाई चेन में एक विकल्प के तौर पर खुद को पेश करना चाहिए। लेकिन, इसके लिए तेजी से काम करना होगा। उन्होंने कहा कि फिलीपींस और वियतनाम जैसे देश भी मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की कोशिश कर रहे हैं। इसलिए भारत को तेजी से काम करके अपना हिस्सा हासिल करना होगा। महिंद्रा समूह में लचीलापन ही मुख्य रणनीति है। इसे महिंद्रा ने 'बरगद का पेड़' यानी 'बनयन ट्री' मॉडल कहा है। इसमें मुख्य व्यवसाय पेड़ के तने की तरह काम करते हैं। नए उद्यम हवाई जड़ों के रूप में विकसित होते हैं जो स्वतंत्र रूप से फल-फूल सकते हैं और पूरे इकोसिस्टम को सपोर्ट कर सकते हैं।
पुरानी उदार व्यापार व्यवस्था को चुनौती
आनंद महिंद्रा ने चेताया कि संरक्षणवाद की बढ़ती लहर दशकों पुरानी उदार व्यापार व्यवस्था को चुनौती दे रही है। इसे ट्रंप प्रशासन के टैरिफ ने नाटकीय रूप से उजागर किया है। उनका कहना है कि कंपनियों को ऐसे माहौल में ढलना होगा जहां पुराने दोस्त बदल रहे हैं। नए आर्थिक समूह बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत को नवीकरणीय ऊर्जा, रक्षा और डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे क्षेत्रों पर ध्यान देना चाहिए। इससे देश को तरक्की करने में मदद मिलेगी।मैन्युफैक्चरिंग पावर बनने का होना चाहिए लक्ष्य
बढ़ती लागत, बाधित सप्लाई चेन और भारत की अपनी व्यापारिक कमजोरियों जैसी संभावित चुनौतियों के बावजूद महिंद्रा इस अशांति से अवसरों के उभरने की उम्मीद देखते हैं। उन्होंने चीन के विरोधपूर्ण रुख को भारत के लिए उत्प्रेरक बताया है। इससे भारत खुद को ग्लोबल सप्लाई चेन में एक व्यवहार्य विकल्प के रूप में स्थापित कर सकता है। हालांकि, उन्होंने रफ्तार पर जोर दिया। कारण है कि फिलीपींस और वियतनाम जैसे देश पहले से ही खुद को भविष्य के मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में पेश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, 'हमें अमृत में अपनी हिस्सेदारी सुरक्षित करने के लिए तेज और रणनीतिक रूप से काम करना चाहिए।'उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत का लक्ष्य एक मैन्युफैक्चरिंग पावर बनना है। इसके लिए व्यवसायिक उद्देश्यों को नवीकरणीय ऊर्जा, रक्षा और डिजिटल बुनियादी ढांचे जैसी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के साथ जोड़ना महत्वपूर्ण होगा। उनके अनुसार, ये क्षेत्र भारत में 'सनराइज इंडस्ट्रीज' बन रहे हैं। इससे कंपनियों को काफी फायदा हो सकता है।